तेरा हर ज़ख्म, दर्द और आंसूं , संभाल रखा है अब तक मैंने ,
मुझे यकीं है इस दौलत को , तुम कभी तो लेने आओगे !
तेरे सपनो के सब मोती ,छुपा रखे हैं अब तक मैंने ,
मुझे यकीं है इन्हें ढूढने , तुम कभी न कभी तो आओगे !
तेरी यादों के लफ़्ज़ों से , कितने गीत लिखे हैं मैंने ,
मुझे यकीं है सब बिखरे लफ़्ज़ों को , तुम कभी तो गाने आओगे !
ये जनाज़ा निकल चूका है , फिर भी तुमको खोज रहा हूँ ,
मुझे यकीं है मेरी कब्र पर, तुम कभी तो रोने आओगे !!
"भूमिपुत्र "
मुझे यकीं है इस दौलत को , तुम कभी तो लेने आओगे !
तेरे सपनो के सब मोती ,छुपा रखे हैं अब तक मैंने ,
मुझे यकीं है इन्हें ढूढने , तुम कभी न कभी तो आओगे !
तेरी यादों के लफ़्ज़ों से , कितने गीत लिखे हैं मैंने ,
मुझे यकीं है सब बिखरे लफ़्ज़ों को , तुम कभी तो गाने आओगे !
ये जनाज़ा निकल चूका है , फिर भी तुमको खोज रहा हूँ ,
मुझे यकीं है मेरी कब्र पर, तुम कभी तो रोने आओगे !!
"भूमिपुत्र "
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