इतना दर्द सहा है अब तक ,
लेकिन मूक रहूँ में कबतक ?
मन में उठते झंझावातों से,
अकेला लड़ता रहूँ में कबतक ?
उसकी यादों की आगों में ,
यूँ ही जलता रहूँ में कबतक ?
हर कदम पे धोखा खाकर ,
सब कुछ सहता रहूँ में कबतक ?
खुद ही जल के , यूँ ही मिट के,
आंसूं पीता रहूँ में कबतक ?
उसने दिए हमेशा ज़ख्म है मुझको ,
ये ज़ख्म सीता रहूँ में कबतक ?
उसको चाहां बस यही खता थी मेरी ,
इस खता को रोता रहूँ में कबतक ?
लेकिन फिर भी इंतज़ार उसका है मुझको ,
ये इंतज़ार करता रहूँ में कबतक ??
"भूमिपुत्र"
लेकिन मूक रहूँ में कबतक ?
मन में उठते झंझावातों से,
अकेला लड़ता रहूँ में कबतक ?
उसकी यादों की आगों में ,
यूँ ही जलता रहूँ में कबतक ?
हर कदम पे धोखा खाकर ,
सब कुछ सहता रहूँ में कबतक ?
खुद ही जल के , यूँ ही मिट के,
आंसूं पीता रहूँ में कबतक ?
उसने दिए हमेशा ज़ख्म है मुझको ,
ये ज़ख्म सीता रहूँ में कबतक ?
उसको चाहां बस यही खता थी मेरी ,
इस खता को रोता रहूँ में कबतक ?
लेकिन फिर भी इंतज़ार उसका है मुझको ,
ये इंतज़ार करता रहूँ में कबतक ??
"भूमिपुत्र"
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