कोई फिरसे लिखे मुझपे अपनी कहानी ,
ऐ खुदा तू मुझे फिर से कोरा कागज़ कर दे ,
फिर रौशनी के लिए जलना है मुझे ,
उस गए धुंए को फिर से मोम कर दे ,
फिर एक नयी तक़दीर बनना है मुझे ,
मेरे हाथों की लकीरों को फ़ना करदे ,
फिर से उसी जड़ से उगना है मुझे ,
इस कटे मन के घावों को पूरा भर दे ,
" भुमिपुत्र "
ऐ खुदा तू मुझे फिर से कोरा कागज़ कर दे ,
फिर रौशनी के लिए जलना है मुझे ,
उस गए धुंए को फिर से मोम कर दे ,
फिर एक नयी तक़दीर बनना है मुझे ,
मेरे हाथों की लकीरों को फ़ना करदे ,
फिर से उसी जड़ से उगना है मुझे ,
इस कटे मन के घावों को पूरा भर दे ,
" भुमिपुत्र "
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