Friday, June 06, 2008

मेरी कवितायें - ये बन्धन

जैसे पंछी भोर मे गाए , जैसे पंख खोल उड़ जाए ,
ये अनुभव ऐसा है जैसे , कोई गंगा नहा के आए !


जैसे भंवरा ख़ुद ही आए , एक फूल मे गुम हो जाए ,
ये बन्धन तो ऐसा है जैसे , हृदय रुके और साँसे थम जाए !


वो आवाज़ सुनाई दे और हृदय के तार बज जाए,
ये संगीत ऐसा है जैसे , कान्हा अधरों पे मुरली सजाये !


सूखी धरती सावन को पाये , जैसे चकोर चाँद को चाहे ,
ये प्रेम ऐसा है जैसे , भक्त और इश्वर एक हो जाए !!

"भूमी-पुत्र "

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