Wednesday, January 28, 2009

मेरी कवितायें :- एक अधुरा ख्वाब

ना जाने कितने लोग मेरे साथ हैं ,
फ़िर भी तड़पाता ये अकेलेपन का अहसास है !

होठों की हँसी पे जाती हैं सबकी नज़र ,
आंखों को जरा देख एक धंसा हुआ फांस है !

एक अधूरे ख्वाब जैसी लगने लगी है ज़िन्दगी ,
दिल धड़क तो रहा है पर साँसे उसके पास है !

उसका ख्याल आते ही चहरे पे चमक आती है ,
में जानता हूँ इस दिल में उसकी जगह कुछ खास है !!

"भुमिपुत्र "

1 comment:

उन्मुक्त said...

अच्छी कविता है। हिन्दी में और भी लिखिये।

कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। यदि हिन्दी में ही लिखने की सोचें तो अपने चिट्ठे को हिन्दी फीड एग्रगेटर के साथ पंजीकृत करा लें। इनकी सूची यहां है।