Friday, September 25, 2009

मेरी कवितायें : बहुत अकेला हो गया हूँ

ख्वाबों के महल गिरकर टूटे , तिनके तक उडा ले गई हवा !
साया भी नही है साथ मेरे , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

आंसू मेरे दिख न जाए , बारिशों में ही निकलता हूँ
साँसे भी साथ छोड़ रही है , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

वो ही एक ठहराव था , जो मेरी रूह को सुकून दे गया
ख़ुद से बातें करता हूँ , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

किसी और से मिले लगता है , बहुत वक्त निकल गया
आइना नही पहचानता मुझे , बहुत अकेला में हो गया हूँ !!

"भूमिपुत्र"

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