Friday, October 02, 2009

मेरी कवितायें : काश

मेरा कहा अगर जो मान वो लेता ,

रुख हमारी जिंदगी का और ही होता !


मेरा हाथ अगर जो थाम वो लेता

इस तूफान को हमने सहन कर लिया होता !


दिए दर्द का अगर जो दाम वो लेता

दौलत का उसकी शायद हिसाब नही होता !


शिद्दत से अगर जो नाम वो लेता

कब्र में भी दिल शायद धड़क गया होता !!


"भूमिपुत्र"

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