Wednesday, December 15, 2010

मेरी कवितायेँ : तुम कभी तो आओगे

तेरा हर ज़ख्म, दर्द और आंसूं , संभाल रखा है अब तक मैंने ,
मुझे यकीं है इस दौलत को , तुम कभी तो लेने आओगे !

तेरे सपनो के सब मोती ,छुपा रखे हैं अब तक मैंने ,
मुझे यकीं है इन्हें ढूढने , तुम कभी न कभी तो आओगे !

तेरी यादों के लफ़्ज़ों से , कितने गीत लिखे हैं मैंने ,
मुझे यकीं है सब बिखरे लफ़्ज़ों को , तुम कभी तो गाने आओगे !

ये जनाज़ा निकल चूका है , फिर भी तुमको खोज रहा हूँ ,
मुझे यकीं है मेरी कब्र पर, तुम कभी तो रोने आओगे !!

"भूमिपुत्र "

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