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Thursday, October 15, 2009

मेरी कवितायेँ : अस्तित्व का संघर्ष

हृदय को निराशा की घटाओं ने घेरा है ,

दीया हो गया जरुरी चारों और अँधेरा है !


इस अँधेरे को चीरकर आशा की किरण दिखती है
परन्तु अपना गंतव्य मिलने में बहुत देर लगती है !


कहीं मेरा अस्तित्व खो न जाए इन अंधेरों में

प्रेरणा मिलती है सागर की लहरों में !


जिस तरीके से ये लहरें बाधाये तोड़ जाती है

उसी तरह संघर्ष से सफलता मिल जाती है !


जो नहीं पकड़ पाता सही अवसर का हाथ

जो नहीं सुन पाता अपने हृदय की बात !


वो मनुष्य प्रगति के पथ से विचलित हो जाता है

उसका अस्तित्व उसे धिक्कारता है जो संघर्ष नहीं कर पाता है !!

"भूमिपुत्र "

Friday, October 26, 2007

मेरी कवितायेँ :- इंतज़ार


इंतज़ार तेरा रहेगा मुझको,
सूरज के जल जाने तक !

इंतज़ार तेरा रहेगा मुझको,
गंगा के बह जाने तक !

इंतज़ार तेरा रहेगा मुझको,
हिमालय के गिर जाने तक !

इंतज़ार तेरा रहेगा मुझको,
क़यामत के आ जाने तक !

इन सारी वफाओं के बदले,
दिल मेरा तो कुछ चाहेगा ही !

इंतज़ार तुम मेरा करना,
मेरे लौट के आने तक !!

"भुमिपुत्र "